varadraj swami
एक बहुत ही महत्वपूर्ण और शानदार सवाल है। कहानी लेखन और फिल्म के लिए कहानी (यानी पटकथा) लेखन में क्या अंतर है | सबसे पहले ये समझें की दोनों रचनात्मक काम हैं, लेकिन इनके उद्देश्य, प्रारूप और नियमों में ज़मीन-आसमान का फ़र्क है।
- कहानी (Story): यह एक खूबसूरत पेंटिंग की तरह है, जिसे आप देखते हैं और महसूस करते हैं।
- पटकथा (Screenplay): यह उस बिल्डिंग का आर्किटेक्चरल ब्लू प्रिंट (नक्शा) है, जिसे देखकर मज़दूर, इंजीनियर और डिज़ाइनर पूरी बिल्डिंग बनाते हैं।
कहानी लेखन (Story Writing - उपन्यास, लघुकथा)
इसका मुख्य उद्देश्य पाठक (Reader) को एक अनुभव देना है। लेखक शब्दों के माध्यम से पाठक के दिमाग़ में एक दुनिया बनाता है।
मुख्य विशेषताएं:
1. माध्यम - शब्द: लेखक का एकमात्र हथियार शब्द हैं। वह शब्दों से ही माहौल, भावनाएं और विचार पैदा करता है।
2. आंतरिक विचार (Internal Monologue): यह सबसे बड़ा अंतर है। कहानी में आप सीधे-सीधे लिख सकते हैं कि किरदार क्या सोच रहा है या महसूस कर रहा है।
o उदाहरण: "राज ने लिफ़ाफ़ा खोला और उसका दिल बैठ गया। 'यह मेरी आख़िरी उम्मीद थी,' उसने सोचा। 'अब मैं पिताजी को क्या मुँह दिखाऊँगा?'"
3. विस्तृत वर्णन: लेखक किसी भी चीज़ का वर्णन कर सकता है—खुशबू, स्वाद, स्पर्श, और ऐसी भावनाएं जिन्हें देखा नहीं जा सकता।
o उदाहरण: "कमरे में पुरानी किताबों और सीलन की मिली-जुली गंध फैली हुई थी।"
4. समय की स्वतंत्रता: लेखक आसानी से लिख सकता है, "पाँच साल बीत गए" या "उसका बचपन बहुत मुश्किलों में गुज़रा था।" इसे बताने के लिए उसे कोई दृश्य दिखाने की ज़रूरत नहीं है।
5. लेखक की आवाज़: लेखक सीधे पाठक से बात कर सकता है, अपनी राय दे सकता है या चीज़ों को समझा सकता है।
6. प्रारूप (Format): इसका कोई सख़्त प्रारूप नहीं होता। पैराग्राफ, अध्याय और संवाद लिखने के अपने तरीक़े हो सकते हैं।
पटकथा लेखन (Screenplay Writing - फिल्म के लिए)
इसका मुख्य उद्देश्य फिल्म की पूरी टीम (निर्देशक, अभिनेता, कैमरामैन, एडिटर आदि) को यह बताना है कि परदे पर क्या दिखेगा और क्या सुनाई देगा। यह पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि एक फिल्म बनाने के लिए एक गाइडबुक है।
मुख्य विशेषताएं:
1. माध्यम - दृश्य और ध्वनि (Visuals and Sound): पटकथा लेखक सिर्फ़ वही लिख सकता है जिसे कैमरा देख सकता है और माइक्रोफ़ोन सुन सकता है।
2. दिखाओ, बताओ मत (Show, Don't Tell): यह पटकथा लेखन का सुनहरा नियम है। आप यह नहीं लिख सकते कि किरदार दुखी है; आपको दिखाना होगा कि वह दुखी कैसे है।
o ऊपर वाले उदाहरण का पटकथा संस्करण:
§ राज कांपते हाथों से लिफ़ाफ़ा फाड़ता है। वह ख़त पढ़ता है। उसके चेहरे की मुस्कान गायब हो जाती है। उसकी आँखें भर आती हैं। वह कुर्सी पर धम्म से बैठ जाता है। ख़त उसके हाथ से छूटकर ज़मीन पर गिर जाता है।
3. सख़्त प्रारूप (Strict Format): पटकथा का एक विश्वव्यापी प्रारूप होता है।
o सीन हेडिंग (Scene Heading): बताता है कि सीन अंदर किसी रूम का है (INT.) है या बाहर खुली सड़क का है (EXT.), लोकेशन क्या है, और समय (दिन/रात) क्या है। (जैसे: INT. राज का कमरा - दिन)
o एक्शन लाइन (Action Line): इसमें बताया जाता है कि क्या हो रहा है। यह हमेशा वर्तमान काल (Present Tense) में लिखा जाता है।
o किरदार का नाम (Character Name): संवाद बोलने वाले का नाम।
o संवाद (Dialogue): किरदार जो बोलता है।
4. कोई आंतरिक विचार नहीं: आप सीधे यह नहीं लिख सकते कि किरदार क्या सोच रहा है। अगर यह दिखाना ज़रूरी है, तो आपको वॉयसओवर (Voice-over) का इस्तेमाल करना होगा या किसी दूसरे किरदार से बुलवाना होगा।
5. हर पन्ना एक मिनट: मोटे तौर पर, पटकथा का एक पन्ना स्क्रीन पर लगभग एक मिनट के बराबर होता है। इसलिए, लेखन बहुत कसा हुआ और सटीक होता है।
तुलनात्मक तालिका: कहानी बनाम पटकथा
मापदंड | कहानी
लेखन (Story
Writing) | पटकथा
लेखन (Screenplay
Writing) |
उद्देश्य | पाठक को
पढ़कर आनंद देना। | फिल्म
निर्माण टीम के लिए एक तकनीकी गाइड। |
दर्शक | आम पाठक
(Reader)। | निर्देशक, अभिनेता,
निर्माता और पूरी क्रू। |
माध्यम | केवल
शब्द। | दृश्य (Visuals) और ध्वनि
(Sound)। |
किरदार
की भावनाएं | सीधे
बता सकते हैं ("वह दुखी था")। | एक्शन
और संवाद से दिखाना पड़ता है ("उसकी आँखें नम थीं")। |
प्रारूप
(Format) | लचीला (Flexible)। | बहुत
सख़्त और मानकीकृत (Standardized)। |
काल (Tense) | आमतौर
पर भूतकाल (Past
Tense)। | हमेशा
वर्तमान काल (Present
Tense)। |
लेखक की
स्वतंत्रता | विचारों, भावनाओं,
गंध, स्वाद का वर्णन करने की पूरी आज़ादी। | सिर्फ़
जो देखा और सुना जा सके, वही लिखने की सीमा। |
एक कहानी एक विचार या आत्मा की तरह है। यह बताती है कि क्या हुआ।
वहीं, एक पटकथा उस आत्मा को दिया गया एक शरीर है। यह बताती है कि दर्शक उस कहानी को परदे पर कैसे देखेंगे और सुनेंगे।
हम इसे ऐसे समझ सकते हैं
अक्सर महान फिल्में अच्छी कहानियों या उपन्यासों से बनती हैं, लेकिन उस कहानी को फिल्म बनाने के लिए उसे पटकथा के नियमों और प्रारूप में ढालना ही एक पटकथा लेखक का असली काम है। यह एक कला भी है और एक तकनीक भी।
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