🎬 संवाद लिखते समय इन 4 गलतियों से बचें !
लेखक: वरदराज स्वामी |
श्रेणी: पटकथा लेखन |
पढ़ने का समय: 5 मिनट
“संवाद सिर्फ़ शब्द नहीं होते… वो किरदार की आत्मा होते हैं।” हर सशक्त कहानी की रीढ़ होता है संवाद ।
संवाद ही है जिससे पात्र सांस लेते हैं, और संवाद सुनकर दर्शक रोते हैं, हँसते हैं और उस फिल्म से जुड़ रहते हैं। लेकिन कई बार हम संवाद लिखते समय कुछ ऐसी चूक कर बैठते हैं, जो हमारी पूरी स्क्रिप्ट को खोखला बना देती है।
तो आइए जानते हैं संवाद लेखन की 4 सबसे आम लेकिन घातक गलतियाँ, जिनसे लेखक को बचना चाहिए —
❌ 1. “सूचना देने वाले संवाद” (Exposition Dump) गलती: जब संवाद सिर्फ़ जानकारी देने के लिए होता है — जैसे कि पात्र खुद के बारे में या कहानी की पृष्ठभूमि को जबरदस्ती बोलते हैं — तब वो बेजान और कृत्रिम लगते हैं।
उदाहरण (गलत): "तुम जानते हो ना कि जब हम 2010 में दिल्ली गए थे और वहाँ वो हादसा हुआ था जिसमें माँ की मौत हो गई थी ?"
कैसे ठीक करें: संवाद को कहानी के साथ नेचुरल फ्लो में आने दें, उसे विजुअल और एक्शन से प्रकट करें, न कि इन्फोरमेटिव बनाएँ । सुधार (बेहतर): (रुककर, सिर उपर की तरफ उठता है उसकी आँखें भर आती है आंसुओं को छुपाने के लिए सिर नीची करते हुए) "दिल्ली वाली वो रात… आज भी मैं नींद में काँप जाता हूँ"...माँ..!!
❌ 2. “हर पात्र को एक जैसी ज़बान देना” गलती: जब सभी पात्र एक ही टोन, एक ही भाषा या शैली में बोलते हैं — तो वो अलग नहीं लगते। इस तरह के संवाद पात्रों की पहचान मिटा देता । पाठ: एक बूढ़ा ग्रामीण, एक बड़े शहर में रहने वाली लड़की, एक पुलिस अफसर और एक भिखारी — क्या सभी एक ही भाषा बोलेंगे?
कैसे ठीक करें: हर किरदार की संवेदनशीलता, सामाजिक पृष्ठभूमि, शिक्षा और भावनात्मक स्थिति को समझें और संवाद उसी के अनुसार लिखें।
❌ 3. “संवाद में स्पष्ट भावना न होना” गलती: संवाद जब सिर्फ सूचना हो या सिर्औफ टेक्स्ट हो उसमें सब टेक्स्ट न हो या उसमें भावना, टोन, या तनाव न हो — तो वो दर्शकों के दिल में कभी नहीं उतर सकता है ।
उदाहरण प्रेमी :- (भावनाहीन) "मुझे तुमसे कुछ कहना है....
प्रेमिका :- (अर्थहीन सी ) हाँ बोलो...
प्रेमी :- मैं जा रहा हूँ....।"
सुधार (भावनात्मक गहराई): प्रेमी :- (धीरे-धीरे उसकी आँखों में देखता है) "मैं रुक नहीं सकता… जितना भी चाहूँ… ये शहर अब मेरा नहीं रहा… और शायद… मैं भी...अब तुम्हारा नहीं रहा,,,।"
❌ 4. हो सके तो लम्बे सम्वादों से बचें "
लम्बे संवाद दर्शकों के लिए उबाऊ होते हैं।
"गलती: - लंबे-लंबे भाषण, उपदेश या बेमतलब की बकवास — ये दर्शकों का ध्यान भंग कर देते हैं। खासकर आज के समय में, जब दर्शकों की attention span बहुत छोटा हो गया है।
कैसे ठीक करें: संवाद को संक्षिप्त, धारदार और अर्थपूर्ण रखें ।
संवाद ऐसा लिखें कि हर लाइन कहानी को आगे बढ़ाए — नहीं तो काट दीजिए!
🎯 याद रखें: संवाद, तलवार की धार की तरह हो — कम बोले, पर अर्थ बहुत गहरा हो ।
✍️ निष्कर्ष: संवाद लिखना एक विज्ञान नहीं, बल्कि एक कला है।
जब आप संवाद को केवल कहने के लिए नहीं, बल्कि महसूस करवाने के लिए लिखते हैं — तभी वो सच्चे बनते हैं।
तो अगली बार जब आप स्क्रिप्ट लिखें — इन्फोरमेटिव संवाद से बचें , अपने सम्वादों को पत्रों के साथ जीने दीजिए।
हर पात्र की अपनी आवाज़ बनायें ।
संवाद लिखने से पहले आप भावना में भीग जाएँ फिर संवाद लिखें ।
कम शब्दों में ज़्यादा कहें ।
📣 आपका क्या अनुभव है ??? संवाद लेखन में?
क्या आपने कोई ऐसी गलती की है जिसे अब आप कभी नहीं दुहराते ?
कमेंट में लिखिए, हम सब मिलकर सीखेंगे।
वरदराज स्वामी (पटकथा लेखक-निर्देशक )
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