varadraj Swami
एक फिल्म की कहानी किसी इमारत की तरह होती है। अगर नींव और ढांचा मज़बूत नहीं है, तो बाहरी सजावट कितनी भी अच्छी क्यों न हो, इमारत ढह जाएगी।
फिल्म की कहानी
के लिए कुछ चीज़ें सिर्फ़ ज़रूरी नहीं, बल्कि अनिवार्य हैं। ये कहानी
के वो स्तंभ हैं, जिनके बिना एक अच्छी फिल्म का बनाना लगभग
नामुमकिन है।
1.
एक मज़बूत किरदार (A Strong Character) - कहानी
का दिल होता है
सबसे ज़रूरी चीज़
है एक मजबूत किरदार । दर्शक कहानी से नहीं, किरदार से जुड़ते हैं। अगर दर्शक
आपके हीरो की परवाह नहीं करते, तो वे फिल्म की परवाह भी नहीं
करेंगे।
एक मज़बूत
किरदार में क्या होता है?
- जुड़ाव (Relatability): किरदार
का परफेक्ट होना ज़रूरी नहीं है। बल्कि, उसकी कमज़ोरियाँ,
उसका डर, उसकी गलतियाँ उसे ज़्यादा मानवीय
और भरोसेमंद बनाती हैं। दर्शक को लगना चाहिए, "हाँ,
मैं इस इंसान को समझ सकता हूँ।" (उदाहरण: Jab
we met 'जब वी मेट' की Geeta गीत या 3 Idiots '3 इडियट्स' का Rancho रैंचो)।
- एक स्पष्ट लक्ष्य
(A
Clear Goal):
किरदार कुछ चाहता है। यह कुछ भी हो सकता है—प्यार, बदला, इज़्ज़त, पैसा,
या सिर्फ घर वापस जाना। यह लक्ष्य ही कहानी को आगे बढ़ाता है।
- बदलाव का सफ़र (Character Arc): यह
सबसे महत्वपूर्ण है। फिल्म की शुरुआत का किरदार और अंत का किरदार एक जैसा
नहीं होना चाहिए। कहानी के संघर्षों से गुज़रकर उसमें कोई बदलाव आना चाहिए—वह
मज़बूत, समझदार या एक बेहतर इंसान बनना चाहिए (या
कभी-कभी बदतर भी)।
- लक्ष्य बाहरी या आंतरिक हो सकता है:
- बाहरी (External): "मुझे चोर को पकड़ना है।" (Dhoom धूम )
- आंतरिक (Internal): "मुझे अपने डर पर काबू पाना है।" (Queen क्वीन )
- इच्छा मज़बूत होनी
चाहिए:
हीरो को वह चीज़ इतनी शिद्दत से चाहिए कि वह उसके लिए कुछ भी करने को तैयार
हो। अगर उसकी इच्छा कमज़ोर होगी, तो दर्शक सोचेंगे,
"अरे, छोड़ो भी, इतना क्या परेशान होना!"
- किरदार बनाम
किरदार (Hero
vs. Villain):
सबसे आम। राम के सामने रावण। ( Bahubali बाहुबली)
- किरदार बनाम समाज
(Character
vs. Society):
हीरो समाज के नियमों या सोच के ख़िलाफ़ लड़ता है। (Pink
पिंक, Article 15 आर्टिकल 15)
- किरदार बनाम
प्रकृति (Character
vs. Nature):
बाढ़, तूफ़ान या किसी आपदा से संघर्ष। (Kedarnath
केदारनाथ)
- किरदार बनाम ख़ुद (Character vs.
Self):
हीरो का सबसे बड़ा दुश्मन उसका अपना डर, उसकी
आदतें या उसकी सोच होती है। यह सबसे गहरा संघर्ष होता है। (Sitare
zamin par सितारे जमीं पर )
- कमज़ोर दांव: "अगर हीरो रेस नहीं जीता, तो उसे दुख
होगा।" (ठीक है, पर ज़्यादा मज़ा नहीं आएगा)।
- मज़बूत दांव: "अगर हीरो रेस नहीं जीता, तो उसके गाँव की ज़मीन
छीन ली जाएगी और सब बेघर हो जाएँगे।" (Lagan लगान)
- एक्ट 1: शुरुआत
(The Setup): हम किरदारों से मिलते हैं, उनकी दुनिया देखते हैं और एक घटना (Inciting Incident) होती है जो कहानी शुरू करती है।
- एक्ट 2: मध्य
(The Confrontation): हीरो अपने लक्ष्य की ओर
बढ़ता है, लेकिन बाधाएं बढ़ती जाती हैं। उसे सफलता और
असफलता दोनों मिलती है। यहाँ कहानी का सबसे निचला बिंदु (Lowest
Point) आता है, जहाँ लगता है सब ख़त्म हो
गया।
- एक्ट 3: अंत
(The Resolution): कहानी अपने क्लाइमेक्स पर
पहुँचती है। हीरो अपनी सबसे बड़ी बाधा का सामना करता है। अंत में, या तो वह जीतता है या हारता है, और कहानी एक
अंजाम तक पहुँचती है।
- 3Idiots 3 इडियट्स की कहानी इंजीनियरिंग छात्रों के बारे में
है, लेकिन उसका संदेश है—"अपनी काबिलियत के पीछे भागो, कामयाबी झक मारकर पीछे आएगी।"
- Dangal दंगल की कहानी कुश्ती के बारे में है, लेकिन
उसका संदेश लैंगिक समानता (Gender Equality) पर है।
एक भरोसेमंद किरदार (दिल), जो एक मज़बूत इच्छा (इंजन) के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है, लेकिन उसे खतरनाक बाधाओं (ड्रामा) का सामना करना पड़ता है, जहाँ दांव पर सब कुछ लगा होता है (जान), और यह सब एक आकर्षक ढांचे (ढांचा) में पेश किया जाता है, जो अंत में एक गहरा संदेश (आत्मा) छोड़ जाता है।
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2.
एक साफ़ लक्ष्य और मज़बूत इच्छा (A Clear Goal and Strong Desire)
- कहानी का इंजन होता है
जैसा कि ऊपर
बताया गया,
किरदार कुछ चाहता है। यह "चाहत" या "लक्ष्य"
कहानी का इंजन है। इसी के लिए हीरो पूरी फिल्म में भाग-दौड़ करता है।
3.
संघर्ष और बाधाएं (Conflict and Obstacles) - कहानी
का ड्रामा
बिना संघर्ष के
कोई कहानी नहीं होती। अगर हीरो को जो चाहिए, वह आसानी से मिल जाए, तो फिल्म 10 मिनट में खत्म हो जाएगी और बेहद बोरिंग
होगी।
संघर्ष कई तरह
का हो सकता है:
बाधाएं हीरो को
तोड़ती हैं,
उसे परखती हैं और उसे बदलने पर मजबूर करती हैं।
4.
दांव पर क्या लगा है? (What are the Stakes?) - कहानी की जान
यह वह सवाल है, जो
दर्शकों को अपनी सीट से बांधकर रखता है। इसका मतलब है: "अगर हीरो असफल हुआ, तो क्या होगा?"
दांव जान, इज़्ज़त,
प्यार या किसी सपने का हो सकता है। दांव जितना बड़ा होगा, दर्शकों की धड़कनें उतनी ही तेज़ होंगी।
5.
एक आकर्षक संरचना (An Engaging Structure) - कहानी
का ढांचा
कहानी की
घटनाओं को एक ख़ास क्रम में रखना ही संरचना है। घटनाओं का सही क्रम दर्शकों की
भावनाओं को नियंत्रित करता है—कब हंसाना है, कब रुलाना है, और कब हैरान करना है।
सबसे आम संरचना
तीन-अंक (Three-Act
Structure)
है:
6.
एक गहरा संदेश (A Deeper Theme) - कहानी की
आत्मा
एक अच्छी फिल्म
सिर्फ़ घटनाओं का सिलसिला नहीं होती। वह अपने पीछे एक विचार या संदेश छोड़ जाती है।
यह कहानी की आत्मा है।
यह संदेश
सीधे-सीधे भाषण देकर नहीं,
बल्कि कहानी और किरदारों के सफ़र के माध्यम से दिखाया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
एक यादगार
फिल्म की कहानी इन 6
चीज़ों का मिश्रण होती है:
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