Monday, June 30, 2025

फिल्मों की कहानीयों में और टीवी या वेब सीरीज कि कहानियों में क्या अंतर है ?


 varadraj Swami 

फ़ॉर्मेट ही कहानी की किस्मत तय करता है। फिल्मों कि कहानियों का लेखन और टीवी सीरीज या वेब सीरीज के लिए कहानियों का लेखन बिल्कुल भिन्न है | दोनों के लिए  कहानी कहने का तरीक़ा मौलिक रूप से एकदम अलग होता है ।
हम इसे आसानी से ऐसे समझ सकते हैं
फिल्म लिखना एक 100 मीटर की दौड़ (Sprint) है, जबकि एक सीरीज़ लिखना एक मैराथन (Marathon) है।
दोनों में गति, गहराई और संरचना का पूरा खेल ही बदल जाता है ।

  • फिल्म:
  • संरचना: फिल्म की कहानी आमतौर पर तीन-अंक संरचना (Three-Act Structure) पर आधारित होती है—शुरुआत, मध्य और अंत। सब कुछ 2 से 3 घंटों के अंदर समेटना होता है।
  • गति: इसकी गति बहुत तेज़ और कसी हुई होती है। हर सीन का एक मकसद होता है—कहानी को आगे बढ़ाना। यहाँ भटकाव या गैर-ज़रूरी दृश्यों के लिए कोई जगह नहीं होती। दर्शक एक ही बैठक में पूरी कहानी का अनुभव करता है।
  • टीवी/वेब सीरीज़:
  • संरचना: सीरीज़ की संरचना एपिसोडिक (Episodic) होती है। इसमें एक बड़ा, सीज़न-भर चलने वाला आर्क होता है, और हर एपिसोड का अपना एक छोटा आर्क (शुरुआत, मध्य, अंत) भी होता है।
  • गति: इसकी गति धीमी और विस्तृत हो सकती है। कहानी को 8-10 घंटों (या उससे भी ज़्यादा) में फैलाया जाता है, इसलिए यहाँ किरदारों और उसकी दुनिया को स्थापित करने के लिए भरपूर समय मिलता है। कुछ एपिसोड कहानी को धीरे-धीरे आगे बढ़ाते हैं, जबकि कुछ सिर्फ़ किरदारों की भावनाओं पर केंद्रित हो सकते हैं।
  • फिल्म:
  • एक फिल्म में, मुख्य किरदार का सफ़र (Character Arc) एक मुख्य संघर्ष के इर्द-गिर्द घूमता है। हमें उसके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा दिखाया जाता है जिसमें वह बदलता है या बदलाव लाने कि कोशिश करता है । किरदारों का विकास तेज़ी से होता है। सहायक किरदारों को ज़्यादा गहराई से दिखाने का समय नहीं मिलता।
  • टीवी/वेब सीरीज़:
  • यह सीरीज़ की सबसे बड़ी ताकत है। यहाँ किरदारों की परतों को धीरे-धीरे खोलने का मौका मिलता है। हम उनके अतीत, उनकी आदतों, उनके डर और उनकी छोटी-छोटी खुशियों को विस्तार से देख सकते हैं।
  • उदाहरण: आश्रम वेब सीरीज में एक साधारण आदमी मोंटी सिंह का काशीपुर वाले निर्मल बाबा बनते हुए दिखने के लिए कई एपिसोड में दिखाया गया है | आश्रम 4 सीजन की सीरीज है | निर्मल बाबा के कुकर्मों का सफ़र 4  सीज़न तक धीरे-धीरे दिखाया गया है। यह एक फिल्म में संभव नहीं था। यहाँ सहायक किरदार भी मुख्य किरदारों जितने महत्वपूर्ण हो सकते हैं और उनके अपने सब-प्लॉट होते हैं।
  • फिल्म:
  • इसमें एक मुख्य कहानी (A-Plot) होती है जो पूरी फिल्म पर हावी रहती है। एक या दो छोटी उप-कहानियाँ (B-Plots) हो सकती हैं, लेकिन वे भी मुख्य कहानी को ही सहारा देती हैं।
  • टीवी/वेब सीरीज़:
  • इसमें कई उप-कहानियों (Subplots) को एक साथ चलाने की गुंजाइश होती है। एक सीज़न में एक मुख्य आर्क हो सकता है, लेकिन हर एपिसोड में अलग-अलग किरदारों से जुड़ी कई छोटी-छोटी कहानियाँ चलती रहती हैं। यह कहानी की दुनिया को ज़्यादा बड़ा और वास्तविक महसूस कराता है।
  • फिल्म:
  • फिल्म का अंत आमतौर पर निर्णायक और बंद (Closed Ending) होता है। कहानी ख़त्म होती है, संघर्ष सुलझ जाता है, और दर्शकों को एक संतोषजनक अंत मिलता है।
  • टीवी/वेब सीरीज़:
  • इसके अंत कई स्तरों पर होते हैं:
1.    एपिसोड का अंत: हर एपिसोड का अंत अक्सर एक 'क्लिफहैंगर' (Cliff-hanger) पर होता है, ताकि दर्शक अगला एपिसोड देखने के लिए उत्सुक रहें।
2.    सीज़न का अंत: सीज़न का अंत उस सीज़न की मुख्य कहानी को तो सुलझा सकता है, लेकिन अक्सर एक नया, बड़ा सवाल या संघर्ष खड़ा कर देता है, ताकि दर्शक अगले सीज़न का इंतज़ार करें। यह खुला अंत (Open-ended) होता है।
  • फिल्म:
  • एक फिल्म आमतौर पर एक या दो केंद्रीय विषयों पर ध्यान केंद्रित करती है और उन्हें प्रभावी ढंग से पेश करती है।
  • टीवी/वेब सीरीज़:
  • लंबे समय के कारण, एक सीरीज़ कई जटिल सामाजिक, राजनीतिक या दार्शनिक विषयों को गहराई से छू सकती है। यह किरदारों के माध्यम से नैतिकता के भूरे क्षेत्रों (Grey Areas) को बेहतर ढंग से दिखा सकती है।
तुलनात्मक तालिका

मापदंड

फिल्म (Film)

टीवी/वेब सीरीज़ (Series)

अवधि

90-180 मिनट

6-10+ घंटे प्रति सीजन

संरचना

तीन-अंक संरचना (Three-Act)

एपिसोडिक, सीजन-लॉन्ग आर्क

गति

तेज़ और कसी हुई

धीमी और विस्तृत

किरदार

एक मुख्य सफ़र (Arc)

गहरा, बहु-आयामी विकास

कहानी

एक मुख्य प्लॉट

मुख्य प्लॉट + कई उप-प्लॉट

अंत

निर्णायक और बंद (Closed)

एपिसोड में क्लिफहैंगर, सीजन में खुला (Open-ended)

लक्ष्य

एक संतोषजनक अनुभव देना

दर्शकों को बार-बार वापस लाना

निष्कर्ष
  • "क्या यह कहानी एक असाधारण घटना के बारे में है, जिसे 2 घंटे में कहा जा सकता है?" — तो यह फिल्म के लिए है।
  • "क्या यह कहानी एक दुनिया और उसमें रहने वाले जटिल किरदारों के बारे में है, जिन्हें जानने-समझने में समय लगेगा?" — तो यह सीरीज़ के लिए है।

1. संरचना और गति (Structure and Pacing)

2. किरदार का विकास (Character Development)

3. मुख्य कहानी और उप-कहानियाँ (Plot and Subplots)

4. अंत (The Ending)

5. विषय और गहराई (Theme and Depth)

जब आपके पास कोई आइडिया आए, तो सबसे पहले ख़ुद से पूछें:

सही फ़ॉर्मेट चुनना आपकी कहानी को सफल बनाने की दिशा में पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है।

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