🧭
मनोवैज्ञानिक लेखन :- Varadraj Swami
पटकथा लेखक के रूप में, दृश्य विवरण के साथ
कहानी की मनोवैज्ञानिक धाराओं में उतरने और पात्रों के आंतरिक भावनात्मक और
बौद्धिक अनुभव में अंतर्दृष्टि को स्क्रिप्ट में जोड़ने की स्वतंत्रता होती है ।
यह कथात्मक आवाज के माध्यम से होता है।
मनोवैज्ञानिक लेखन के तीन स्पर्श बिंदु (Three Touchpoints
✒️ A. दृष्टिकोण (Perspective):
Perspective: चरित्र
की आंतरिक दुनिया में कथात्मक आवाज का दृष्टिकोण ।
- कहानी
किस नज़र से देखी जा रही है?
- किसका
दृष्टिकोण प्रमुख है — पात्र का, लेखक का, या
दर्शक का?
🎬 उदाहरण: तारे ज़मीन पर
– पूरी कहानी ईशान के मनोविज्ञान से जुड़ी है।
– उसका डर, कल्पना, गुस्सा
— सब कुछ उसकी आंखों से दिखाया गया है।
✒️ B. निकटता (Proximity):
Proximity: कथात्मक
आवाज चरित्र की आंतरिक दुनिया से कितनी दूर/करीब है
- कहानी
पात्र के कितने पास से बताई गई है?
- क्या
दर्शक उसके मन की हलचल "महसूस" कर पा रहे हैं?
🎬 उदाहरण: डियर ज़िंदगी (2016)
– काइरा की थैरेपी सेशन और उसकी निजी यादें
→ कैमरा, संवाद और
ध्वनि — सब कुछ इतना "नज़दीक" है कि दर्शक खुद को उसी कुर्सी पर बैठा
पाते हैं।
✒️ C. धारणा (Perception):.
Perception: चरित्र
क्या महसूस कर रहा है, इसकी कथात्मक आवाज की व्याख्या ।
- पात्र
दुनिया को कैसे देखता है?
- क्या
वह भ्रम में है? क्या उसे सच समझ आ रहा है?
🎬 उदाहरण: ब्लैक (2005)
– मिशेल (रानी मुखर्जी) की दुनिया में ध्वनि, स्पर्श
और इशारों से ही सब होता है।
→ उसकी "धारणा" बाकी दुनिया
से बिलकुल अलग है, और यही कहानी को खास बनाता है।
🎨 3. संवेदी जानकारी
(Sensory Detail):
कहानी में Sensory Detail संवेदी
जानकारी (दृश्यों, ध्वनियों, गंधों,
स्वादों और बनावट) का इस तरह से उपयोग करना होता हैकि वह दर्शकों को
क्षण का हिस्सा महसूस कराता है और यह प्रभावित करने में मदद करता है कि वे फिल्म
देखते समय क्या महसूस करते हैं । यह भावनाओं को "दिखाने" का एक
शक्तिशाली तरीका है, न कि केवल "बताने" का ।
यदि दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ना या प्रभावित करना
है, तो पटकथा में किसी ऐसे व्यक्ति का
चरित्र दिखाना होगा जिसकी मुख्य चरित्र परवाह कर सके। प्राथमिक पात्रों को इतना
अच्छी तरह से विकसित किया जाना चाहिए कि वे वास्तविक दुनिया से बाहर निकले हुए
महसूस हों, जिसमें उनकी ज़रूरतें, प्रेरणाएँ,
खामियाँ और डर शामिल हों जो उन्हें मानवीय बनाते हैं ।
➤ दृश्य, ध्वनि,
गंध, स्वाद, स्पर्श
— इनका उपयोग करके कहानी को "महसूस" कराना।
🎬 उदाहरण: द लंचबॉक्स (2013)
– ईला का खाना, डब्बे की खुशबू, अकेलेपन की चुप्पी
→ ये सब दर्शकों को भावनात्मक रूप से
जोड़ते हैं। संवाद कम हैं, पर भाव बहुत हैं।
💔 4. पात्र की
त्रुटियाँ, डर, और खामियाँ (Flaws
and Fears):
पात्र को
"मानवीय" बनाने के लिए उसकी कमज़ोरियाँ ज़रूरी होती हैं। इससे दर्शक उसे
परफेक्ट नहीं, "अपना सा" मानते हैं। मनोवैज्ञानिक लेखन
का उपयोग केवल महत्वपूर्ण क्षणों में करना चाहिए ताकि दृश्य के भावनात्मक और
मनोरंजन प्रभाव को अधिकतम किया जा सके ।
🎬 उदाहरण: कबाड़ द कॉइन (2023 )
– बंधन (विवान शाह ) एक ऐसा लड़का है जो खुद को हमेशा बहुत दबा कुचला
गरीब झोपडपट्टी वाला महसूस करता है।
कबाड़ खरीदना उसकी मज़बूरी है ,पर जब
उसे अचानक ढेर सारे सोने का कॉइन मिल जाता है तो फिर उसके सोचने का तरीका कैसे बदल
जाता है, वो आत्मविश्वास से भर जाता है और वो हाई सोसाइटी की
लड़की रोमा जिसे वो सपनों में प्यार करता था | एक दिन सच में वो रोमा को फुल कन्फ़ेडरेशन प्रोपोज कर देता है,अंत में वो टूट जाता है -पर रोमा को भूल नहीं पाता ।
🧭 5. चरित्र चाप (Character
Arc) – परिवर्तन की यात्रा
➤ परिभाषा:
एक Character Arc बताता है कि पात्र कथा के दौरान कैसे
बदलते और विकसित होते हैं, जिसमें एक्ट वन का चरित्र एक्ट थ्री में अलग होता है । यह दर्शकों के साथ
जुड़ने के लिए महत्वपूर्ण है। Character Arc को पीछे से डिजाइन
किया जा सकता है, चरित्र के "बुल्सआई" अंत पर विचार करके, फिर
यह देखकर कि वे एक्ट वन में कैसे शुरू होते हैं और उन्हें उस अंत तक पहुंचने के
लिए क्या बदलना होगा । लक्ष्य शुरुआती और अंतिम बिंदुओं के बीच एक बड़ा अंतर बनाना
है, जिससे यह असंभव लगे कि एक्ट वन का त्रुटिपूर्ण चरित्र
महत्वपूर्ण बदलाव के बिना अंत तक पहुंच सके । कैसे कोई पात्र कहानी की शुरुआत
में एक होता है, और अंत तक एक बिलकुल नया व्यक्ति बन जाता है।
🎬 उदाहरण:
फिल्म: स्वदेश (2004)
- शुरुआत:
मोहन एक NRI साइंटिस्ट है जो भारत से कटा हुआ है।
- अंतत:
वह गाँव में रहकर समाज की सेवा करने लगता है।
- यह
उसका भावनात्मक और वैचारिक परिवर्तन है।
✍️ 6. चरित्र चाप की
योजना (Designing the Arc from the End)
➤ कैसे करें:
1.
सोचिए, आपका पात्र अंत में कैसा इंसान बन
जाएगा? (यानी उसका "बुल्सआई")
2.
फिर सोचिए — वह शुरुआत में कैसा था?
3.
उसके इस सफर में कौन-कौन से अनुभव, टकराव, फैसले उसे बदलेंगे?
📜 निष्कर्ष (Essence):
विषय |
अर्थ (सरल भाषा में) |
उदाहरण (हिंदी फिल्म) |
चाहत
बनाम ज़रूरत |
बाहर
क्या चाहता है बनाम अंदर क्या चाहिए |
उड़ान, फॉरेस्ट गंप
(हिंदी डब) |
दृष्टिकोण |
कहानी
किसकी आंखों से देखी जा रही है |
तारे
ज़मीन पर |
निकटता |
दर्शक
पात्र के कितने करीब है |
डियर
ज़िंदगी |
धारणा |
पात्र
दुनिया को कैसे समझता है |
ब्लैक |
संवेदी
जानकारी |
दृश्य, गंध, ध्वनि से भावनाएँ दिखाना |
द
लंचबॉक्स |
त्रुटियाँ
व डर |
पात्र
की कमज़ोरियाँ जो उसे मानवीय बनाती हैं |
कपूर
एंड सन्स |
चरित्र
चाप (Arc) |
पात्र
की शुरुआत से अंत तक की आंतरिक परिवर्तन की यात्रा |
स्वदेश, चक दे इंडिया |
No comments:
Post a Comment