Tuesday, July 1, 2025

नोनलिनेअर पटकथा लेखन क्या है ? What is Nonlinear script writing ?


 स्क्रिप्ट लेखन में अगली सीढ़ी क्या है ? Varadraj Swami

अपनी बात...!!!

एक अनुभवी पटकथा लेखक, निर्देशक  और स्क्रिप्ट सलाहकार के रूप में, मुझे प्रसन्नता होती है कि मैं समय-समय पर पाठकों को अपने अनुभवों से रूबरू करता रहता हूँ | मेरा मार्गदर्शन सभी script writers के लिए उपयोगी सबित हो ये मेरा लक्ष्य है | मेरे लेख का विषयवस्तु सहज हो जिसे कोई भी पढ़कर आसानी से समझ सके ये मेरा प्रयास रहता है |

पटकथा लेखक उन्नत तकनीकें और उभरते रुझान का लाभ कैसे लें ?

 पटकथा लेखन केवल कहानी कहने से कहीं अधिक है; यह एक जटिल और सूक्ष्म शिल्प है जिसमें कहानी कहने, चरित्र विकास और फिल्म उद्योग की गहरी समझ की आवश्यकता होती है । बुनियादी बातें सीखने के बाद, अब समय आ गया है कि शिल्प को अगले स्तर पर ले जाया जाए और आधुनिक मनोरंजन के परिदृश्य के साथ तालमेल बिठाया जाए।

मेरा यह लेख केवल पटकथा की बुनियादी संरचना और कहनी के चरित्रों के विकास पर आधारित नहीं है | 

ये लेखआपको उन्नत पटकथा लेखन तकनीकों को गहराई से समझने में मदद करेगी । इस लेख में आपके लिए पटकथा लेखन में नये उभरते हुए रुझानों, तकनीकी नयापनों और उन नये तकनीकों का सहयोग लेकर कैसे एक उम्दा पटकथा लिखें इस विषय को समझना आसन होगा |

साथ ही मैंने भारतीय मनोरंजन उद्योग के विशिष्ट अवसरों पर चर्चा  किया हैऔर यह भी बताने का प्रयास किया है कि आप अपनी स्क्रिप्ट को प्रभावी ढंग से कैसे पिच कर सकते हैं और भारतीय  मनोरंजन उद्योग में अपनी जगह कैसे बना सकते हैं। मेरा यह लेख एक मास्टरक्लास की तरह है,जोकि आपको पढने के बाद  बेहद व्यावहारिक  प्रतीत होगा और पटकथा लिखने के लिए प्रेरित करेगा और ये आपको योग्य सलाह प्रदान करेगा।

2. उन्नत पटकथा लेखन शिल्प

“ अरेखीय कथाएँ और कथात्मक उपकरण ” ( Nonlinear narratives and narrative devices )

Nonlinear अरेखीय कथाएँ पारंपरिक रैखिक Linear संरचना (शुरुआत, मध्य, अंत) से हटकर, कहानी की घटनाओं को कालानुक्रमिक time bound क्रम से बाहर प्रस्तुत करती हैं। यह दर्शकों को एक कथात्मक पहेली प्रदान करती है जिसके टुकड़ों को विभिन्न तरीकों से इकट्ठा किया जा सकता है, जिससे विभिन्न व्याख्याएं और अनुभव प्राप्त होते हैं । यह तकनीक पटकथाओं में बहुत जटिलता और गहराई जोड़ सकती है, जैसा कि

पल्प फिक्शन और मेमेंटो जैसी फिल्मों में देखा गया है । Seen in films such as Pulp Fiction and Memento .

अरेखीय कथानक अक्सर बहुत रहस्य पैदा करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि एक चरित्र या समयरेखा को एक क्लिफहैंगर पर छोड़ दिया जाता है और पटकथा लेखक कहीं और कूद पड़ता है, तो दर्शक अगले भाग को देखने के लिए या समाधान को देखने के लिए इंतजार करते रहेंगे ।

यह लेखकों को यह भी तय करने की अनुमति देता है कि कौन क्या जानता है, जिससे दर्शकों के लिए एक मनोरंजक अनुभव बनता है । इस प्रकार की कथा संरचना दर्शकों में  निष्क्रियता पैदा नहीं होने देती बल्कि उन्हें कहानी के सह-निर्माता बना देती है, आपके साथ साथ दर्शक भी आपकी कहानी में इन्वोल्व हो जाते हैं , जोकि  आधुनिक पटकथा लेखन की दुनिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। अरेखीय कथाओं का उपयोग केवल कहानी को अलग क्रम में प्रस्तुत करने तक सीमित नहीं है; इसका गहरा प्रभाव दर्शकों के अनुभव पर पड़ता है। जब कहानी के टुकड़ों को कालानुक्रमिक Time bound के रूप से प्रस्तुत नहीं किया जाता है, तो दर्शक उन्हें एक साथ जोड़ने के लिए सक्रिय रूप से फिल्म के साथ जुड़ जाते हैं , जिससे लेखक निर्देशक और दर्शक तीनों को एक पहेली सुलझाने जैसा अनुभव होता है । यह सक्रिय भागीदारी दर्शकों को कहानी में अधिक गहराई से जोड़े रखती है , जिससे उन्हें पात्रों और कथानक के साथ एक मजबूत भावनात्मक संबंध महसूस होता है ।

1 . रंग दे बसंती (2006) – समयरेखाओं का संयोजन

  • तकनीक: दो समयरेखाओं का संयोजन – वर्तमान और स्वतंत्रता संग्राम काल।
  • कैसे: फिल्म में वर्तमान के युवाओं की कहानी स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनियों से जोड़ी जाती है। दोनों समयरेखाएँ एक-दूसरे के समानांतर चलती हैं, और दोनों में क्रांति का बीज है।
  • फायदा: यह तकनीक दर्शक को ऐतिहासिक और समकालीन घटनाओं के बीच गहरा संबंध महसूस कराती है।

2. तलाश (2012) – अविश्वसनीय कथावाचक / अलौकिक मोड़

  • तकनीक: अविश्वसनीय कथावाचक (Unreliable narrator) और अलौकिक कथानक की परत।
  • कैसे: कहानी में रहस्य धीरे-धीरे खुलता है और दर्शक को अंत में पता चलता है कि एक मुख्य पात्र भूत है।
  • फायदा: दर्शक पूरे समय इसे एक यथार्थवादी रहस्यमय फिल्म समझता है, जबकि असली सच्चाई आखिर में सामने आती है।

3. देव डी (2009) – ब्रांचिंग नैरेटिव और समानांतर कथाएँ

  • तकनीक: समानांतर दृष्टिकोणों से कहानी दिखाना।
  • कैसे: यह शरतचंद्र के 'देवदास' का मॉडर्न रूपांतरण है जहाँ तीनों मुख्य पात्र (देव, पारो, चंदा) की कहानियाँ अपने दृष्टिकोण से बताई जाती हैं।
  • फायदा: दर्शक हर पात्र की गहराई और उनके निर्णयों को अलग नज़रिए से समझ पाता है।

4. मांझी द माउंटेन मैन  (2015 ) – फ्लैशबैक नैरेशन

  • तकनीक: अतीत और वर्तमान का मिक्सचर (Time-jump)
  • कैसे: फिल्म वर्तमान में शुरू होती है, लेकिन पूरी कहानी फ्लैशबैक के रूप में बताई जाती है।
  • फायदा: यह दर्शकों को पहले ही परिणाम का संकेत देती है और फिर यह बताती है कि वह परिणाम कैसे आया।

5. गुरु (2007) – जीवन की चरणबद्ध यात्रा (Non-linear Biography)

  • तकनीक: अतीत और वर्तमान के बीच का गतिशील ट्रांजिशन।
  • कैसे: फिल्म में एक उद्यमी के जीवन के अलग-अलग चरणों को अरेखीय ढंग से दिखाया गया है।
  • फायदा: यह दर्शकों को भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक परिपक्वता की झलक देता है।

6. अंधाधुन (2018) – अविश्वसनीय कथावाचक

  • तकनीक: दर्शकों को गलत दिशा में ले जाना (Misleading narrative)
  • कैसे: मुख्य किरदार अंधा है या नहीं, इस पर पूरी कहानी की विश्वसनीयता निर्भर करती है।
  • फायदा: इससे सस्पेंस लगातार बना रहता है और दर्शक अंत तक अनुमान लगाते रहते हैं।

7. मनोरमा सिक्स फीट अंडर (2007) – नोयर शैली और फ्लैशबैक

  • तकनीक: क्लासिक डिटेक्टिव नोयर जिसमें समय-समय पर फ्लैशबैक और भ्रम हैं।
  • कैसे: नायक की जांच प्रक्रिया में कई बार अतीत और वर्तमान के दृश्य आपस में मिलते हैं।

 

इन जटिल कहानियों के लिए सावधानीपूर्वक योजना की आवश्यकता होती है; एक स्पष्ट "नक्शा" होना चाहिए कि कहानी कहाँ है और कहाँ जा रही है । समय-सीमा, दुनिया या पात्रों के बीच स्पष्ट विजन बनाए रखना और चरित्र विकास एवं कहानी की घटनाओं में निरंतरता बनाए रखना महत्वपूर्ण है, लेखक निर्देशक भले ही समयरेखा में कूद रहे हों 

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